8TH SEMESTER ! भाग- 131( Two Sore Truths-4)
"Wooohh... Where are you,... what are you thinking... You kind of got lost in yourself... "
"तूने झूठ क्यों बोला की... सिदार मुझसे मिलने आया था.. 2.0 ने तो कहा की सिदार मुझसे मिलने नहीं आया था.."
"आए थे ना... और ये 2.0 क्या बला है..?"अपने सूखे होंठो को दांतो से दबाते हुए अरुण ने कहा....
अरुण इस वक़्त कभी उपर देखता तो कभी नीचे, कभी दाए देखता तो कभी बाए... उसने बात को टालने के लिए मुझसे मेरे घाव के बारे मे पुछ ना शुरू कर दिया... लेकिन उसकी इस हरकत से मुझे ये हवा लग गयी थी ,लौंडा झूठ बोल रहा है....
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"अरुण, तू तो मेरे साथ हमेशा रहता है तो क्या तुझे ये नही मालूम की मै एक पल मे झूठ पकड़ सकता हूँ... एकदम हचाक से... .तेरे हाव-भाव से सॉफ मालूम चल रहा है कि तू झूठ बोल रहा है....खैर कोई बात नही, यहाँ से जाने के बाद एमटीएल भाई को कॉल करके बोल देना कि अरमान उन्हे पुछ रहा था...."
"ठीक है...ठीक है...मैं बोल दूँगा, मैं बोल दूँगा...."
"तेरे मुँह के स्पीकर से एक ही लाइन दो-दो बार क्यूँ निकल रही है..?? .मैने कहा ना कोई बात नही..."
"अरमान...एक..एक.. एक्चु...एक्चुअली...बात ये है कि...."फिर से अपने सूखे होंठो को अपने दाँत से चबाते हुए अरुण ने मेरी आँखो मे देखा और जल्दी से कुछ बोलकर अपनी आँखे बंद कर ली....
अरुण ने जो कुछ भी कहा था वो मेरे कान को गरम लोहे की रोड की तरह भेदता हुआ मेरे कानो से आर -पार हो चुका था .... दिल के धड़कनो की रफ़्तार हद से ज़्यादा तेज़ हो गयी जिसकी वजह से मेरे बॉडी से कनेक्टेड मशीनो ने एक बार फिर अपना राग अलापना शुरू कर दिया था... आइसीयू के उस एयर कंडीशनर रूम मे भी मेरा पूरा शरीर एक पल मे बहुत ज़्यादा गरम हो गया और मेरा दिमाग़ फिर से झन्ना उठा और मैने एक बार फिर से अरुण के कहे शब्दो को महसूस किया....
"सिदार भाई ,अब ज़िंदा नही है...दो दिन पहले उनकी एक एक्सीडेंट मे मौत हो चुकी है..."
मुझे कुछ समझ नही आया कि अरुण ने इस वक़्त जो कहा उसपर मैं कैसे रिएक्ट करूँ....?? मतलब मै क्या.. मेरी जगह कोई भी होता, चाहे आप ही होते तो..... Anyway, ये अब तक की मेरी जिंदगी की सबसे बुरी घटना थी. मेरे दिल की धड़कने एक बार फिर से रिकॉर्ड तोड़ स्पीड के साथ चलने लगी थी....सिदार के मौत के बारे मे सुनते ही मुझे एक पल मे वो पल याद आने लगे ,जो मैने उसके साथ बिताए थे... कब मै उसके साथ पहली बार मिला था, जब मेरी जोरदार रैगिंग हुई थी... तब वही मेरा साथ देने आगे आया था... और आखिरी बार...?? आखिरी बार मै सिदार से तब मिला था, जब पुरे हॉस्टल की बागडोर मैने अपने हाथ मे ली थी.. वहा भी उनका सपोर्ट था. उस एक पल मे जब मुझे उसके इस दुनिया मे ना होने की खबर अरुण से मालूम हुई तो मुझे सच मे बहुत दुख हुआ... सच मे... मतलब..सच मे... दिल और दिमाग़ दोनो से दुख हुआ....
सिदार से मेरी लाइफ मे तब आया था ,जब मुझे उसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी, उस घटना को एक साल से अधिक बीत चुका है, लेकिन मुझे अब भी याद है कि मेरी रैगिंग लेकर कैसे वरुण और उसके दोस्तो ने मेरा बुरा हाल कर दिया था और तब मेरे उस बुरे वक़्त मे मेरा साथ देने के लिए एक अंजान शक्स आगे आ गया, जिससे मैं पहली बार मिला था....उसके बाद जो हुआ वो सब जानते है कि सिदार के दम पर मैने कैसे मेरी रैगिंग लेने वालो को कुत्ते की तरह घसीट-घसीट कर मारा था...लेकिन अभी-अभी मुझे जो खबर मिली वो ये थी कि सिदार अब ज़िंदा नही है.....
मुझे अब भी याद है कि कैसे मैं फर्स्ट एअर मे शेर बना घूमा करता था, इस बुनियाद पर कि यदि कुछ लफडा हो जाएगा तो एमटीएल भाई मुझे बचाने के लिए अपनी पूरी ताक़त लगा देंगे, मुझे अब भी याद है कि कैसे मैं कैंटीन मे भर पेट खाने के बाद बिल सिदार के अकाउंट मे डलवा देता था...लेकिन उन्होने मुझसे कभी भी एक लफ्ज़ भी इस बारे मे नही कहा और ना ही मुझसे पुछा.... लेकिन अभी-अभी मुझे मेरे खास दोस्त ने बताया था कि सिदार अब मर चुका है....
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मुझे अब भी अच्छे से याद है कि जब पुलिस स्टेशन मे मुझपर एफ.आइ.आर. होने की वजह से मेरे पसीने छूट रहे थे तो उस वक़्त अचानक सिदार बीच मे आया और मुझे बचा ले गया...उसके बाद उसी की मदद से मैने, मुझपर एफ.आइ.आर. करने वाले फर्स्ट एअर के दोनो लड़को को बहुत मारा था और बिना किसी परेशानी के उस पूरे झमेले से निकल गया था... लेकिन अब सच ये था कि मेरे कैंटीन का बिल पे करने वाला,मुझे सारे झमेलो से बेदाग निकलने वाला सिदार अब ज़िंदा नही था....
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मुझे दुख इस बात का नही था कि अब मुझसे एक स्ट्रॉंग सपोर्ट छूट गया है, बल्कि मुझे दुख इस बात का है कि मेरा एक सबसे अच्छा दोस्त...जो मुझे हर वक़्त कई नसीहत दिया करता था, जिसकी नसीहत मै मानता भी था. जिसे मैं अपने बड़े भाई के समान भी मानता था,उसे मैं अब कभी नही देख पाउन्गा....अब मेरी पूरी ज़िंदगी की कहानी मे शायद ही सिदार जैसा कोई किरदार आए ,जो बिना कुछ सोचे, बिना अपनी परवाह किए... मेरे हर अच्छे-बुरे काम मे कंधे से कंधा मिला कर चलेगा. अब शायद ही मुझे कभी कोई मिले, जिसकी नसीहत, जिसकी सीख को मैं मानूँगा, सच तो ये था कि मैने एक बड़े भाई के समान अपना एक दोस्त खो दिया था...
सिदार मे वो सभी खूबिया थी जो हमेशा से मैं विपिन भैया के अंदर देखना चाहता था... सिदार मेरी ग़लत हरकतों पर मुझे डाइरेक्ट फटकार नही लगाता था ,बल्कि सबसे पहले वो मुझे मेरी उस ग़लत हरकत की वजह से खड़ी हुई मुसीबत से निकालता और फिर जब सब कुछ सही हो जाता तो मुझे समझाता कि मुझे ऐसा नही करना चाहिए... भले ही मै नहीं मानता था. हम दोनों शायद एक तरह थे... लेकिन अब मै अकेला बचा था....
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"कहीं सिदार की मौत मेरी वजह से तो नही हुई...यदि ऐसा हुआ तो मेरी ज़िंदगी हर दिन बद से बदतर होता जाएगा...क्यूंकी ऐसा होने पर मैं भले ही उसकी मौत का ज़िम्मेदार ना ठहराया जाउ.. .लेकिन मेरा दिल और दिमाग़ मुझे जीने नही देगा कि सिदार की मौत का ज़िम्मेदार मैं हूँ...."मैने अपने दूसरे version से पूछा... लेकिन इस वक़्त वो भी खामोश हो गया था.. उसने कोई जवाब नहीं दिया...
मेरे दिल की धड़कने, इतनी देर से थमने का नाम ही नही ले रही थी...बल्कि वो तो समय के साथ बढ़ते ही जा रही थी और इसी के साथ मै वही बैठे -बैठे बिना कुछ किये ही हाँफने लगा....
"ये.....सब....कैसे.....हुआ..."हाफ्ते हुए बडी मुश्किल से मैने अरुण से पुछा.
"नर्स....."मेरी हालत बिगड़ता देख अरुण ने नर्स को आवाज दिया
"जवाब दे मेरे सवाल का जल्दी..... वरना सांस और फूलेगी मेरी..."
"एनटीपीसी मे कुछ हफ्ते पहले विरोध शुरू हुआ था पावर सप्लाइ को लेकर... जिससे एनटीपीसी को लगातार लॉस हो रहा था और जब ये बात सिदार को मालूम चली तो उसने स्ट्राइक शुरू कर दी ,जिसमे एनटीपीसी के कई बड़े ऑफिसर्स उसके साथ थे...."
"फिर..."
"और फिर दो दिन पहले पूरे कॉलेज मे ये खबर फैल गयी कि स्ट्राइक करने वाले और पुलिस के बीच झड़प हो गयी है... उस झड़प मे कई लोग मारे गये ,जिसमे से एक हमारा सिदार भी था...."
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इटंस बोलकर अरुण चुप हो गया और मैं गुमसुम सा बेड पर लेट गया ....बहुत देर तक हम दोनो मे कोई कुछ नही बोला और फिर अरुण ने ही चुप्पी तोड़ी...
"सिदार भाई की बॉडी अब भी इसी हॉस्पिटल मे है...."
"क्याआ...क्या "चौकते हुए मैने अरुण की तरफ देखा....लेकिन कुछ बोला नही ,मेरे इस तरह से चौकने का कारण मेरा खास दोस्त अरुण मेरी शकल देख कर ही जान गया ,वो आगे बोला...
"सिदार की मौत के बाद वॉर्डन के मुँह से एक बहुत बड़ा सच हमे मालूम हुआ अरमान, जिसने हम सबको झकझोर के रख दिया था.."
"क्या..."अपने सीने को हाथ से दबाते मैने पुछा... मैने अपने सीने को इसलिए दबाया ताकि आगे जो सच अरुण बताने वाला था ,वो सच, सच मे बहुत कड़वा होगा...ऐसा मैने अंदाज़ा लगा लिया था.... और उस सच की कड़वाहट झेल जाऊं, इसके लिए मैं अपने सीने को मसल रहा था
"सिदार एक अनाथ था, उसे अनाथ बच्चो को पालने वाली असोसियेशन - Adler Orphanage ने पाल पोश कर बड़ा किया था और इस काबिल बनाया की वो अपने पैरो पर खड़ा हो सके.... कॉलेज मे ये सच सिर्फ़ हमारे प्रिन्सिपल और हॉस्टिल वॉर्डन को मालूम था और सिदार की मौत के बाद ये सच सबके सामने आया तो सबका कलेजा मुँह को आ गया.... किसी को यकीन ही नही हो रहा था की सिदार एक अनाथ था..."
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सिदार के अनाथ होने की खबर से जहाँ एक तरफ मेरे कलेजे का दुख दुगना हो गया वही दूसरी तरफ मुझे ,मेरे कई छोटे सवालो का जवाब मिल गया था... मैं अक्सर एमटीएल भाई से पुछा करता था कि वो छुट्टियो मे घर क्यूँ नही जाते ?, क्या उन्हे हॉस्टिल मे अकेले वॉर्डन के साथ रहने मे ज़्यादा मज़ा आता है ? क्या आपके घर वाले आपको कुछ नही कहते ?
ऐसे ना जाने कितने सवाल मैं एमटीएल भाई से आए दिन पुछते रहता था और जवाब मे वो हर बार मेरे इन सवालो को मुस्कुरा कर टाल देते थे पर आज जब मुझे सच मालूम हुआ तो मुझे उनकी उस मुस्कुराहट के पीछे छिपे उस दर्द का अहसास हुआ, जिसे उन्होने कभी किसी के सामने ज़ाहिर ही नही किया..... मैने ना जाने कितनी ही दफ़ा अंजाने मे ऐसे सवाल करके उनका दिल दुखाया था.... मुझे अब भी याद है कि एक बार उन्होने मुझसे कहा था कि "अरमान यदि तू जनम से मेरा छोटा भाई होता तो मुझे बहुत खुशी होती....आइ लव यू यार..."
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"तो क्या तुम लोगो ने अनाथ बच्चो को सहारा देने वाली उस असोसियेशन को सिदार के बारे मे खबर नही दी..??."
"दो दिन पहले ही उनको ये न्यूज़ हमने दे दी थी कि सिदार की मौत हो चुकी है लेकिन वो सिदार की बॉडी को लेने अब तक नही आए है..."
" i want to see him.."
"Sorry..??what..??"
"I want to fcking see him...RIGHT NOWWW.....and after that, i 'm gonna fcking take my revenge"
Punam verma
16-Jan-2022 11:55 PM
Nice
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